क्रेडिट कार्ड से प्वाइंट्स कैसे कमाएं ? How to Earn Points from Credit Card

बाजार एक ऐसी जगह जहां पर चीजों की खरीद और बिक्री की जाती है ठीक इसी प्रकार शेयर बाजार भी एक ऐसी जगह है जहां पर बहुत सारी कंपनियां लिस्टेड होती हैं और वो सभी कंपनियां अपने कुछ शेयर बेचने के लिए अलग-अलग प्राइस में जारी करती हैं ।
और फिर लोग उनके शेयर्स को खरीदते हैं और जब शेयर का प्राइस बढ़ जाता है तो उसे बेच देते हैं और पैसा कमा लेते हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर अगर शेयर का प्राइस कम हो जाता है तो उसे बेचने पर नुकसान भी हो जाता है। आपको बता दें कि हर रोज शेयर का प्राइस बदलता रहता है ।
आज कुछ और है तो कल कुछ और होगा। स्टॉक मार्केट में ज्यादातर लोग सिर्फ इसीलिए पैसा इनवेस्ट करते हैं ताकि उन्हें फ्यूचर में ज्यादा से ज्यादा पैसा मिल सके और वह जल्दी से जल्दी अमीर बन सके। लेकिन शेयर मार्केट को समझना इतना आसान नहीं है इसमें बहुत सारी बेसिक टर्म्स आपको पता होनी चाहिए ।
जैसे: सेबी ( SEBI ) यानी ( सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) जिसका बहुत बड़ा रोल होता है शेयर मार्केट में। इसके अलावा IPO, डिमैट अकाउंट , सेंसेक्स और निफ्टी, इक्विटी डिविडेंड, बोनस इन सभी चीजों को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है तो अगर आप शेयर मार्केट में बिल्कुल नए है तो आइए इसे एक आसान उदाहरण के द्वारा समझते हैं।
मान लीजिए आपने कोई कंपनी शुरू की और कुछ समय तक आपकी कंपनी बहुत अच्छी चली लेकिन अब आपको अपनी कंपनी को और आगे बढ़ाना है जिसके लिए आपको 20 लाख रुपये की जरूरत है लेकिन आपके पास इतना पैसा नहीं है और ना ही आपके कोई फैमिली या फ्रेंड इतना पैसा लगा सकता है तो ऐसे में आप क्या करोगे?
आप सोचोगे कि मैं बैंक से लोन ले लूंगा और अपनी कंपनी में लगा दूंगा लेकिन आपको भी पता है कि उस पर आपको काफी ब्याज देना होगा तो फिर हम और क्या कर सकते हैं? एक तरीका है आप अपनी कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्ट करवा दें और अपनी कंपनी के शेयर जारी कर दें फिर लोग आपकी कंपनी में पैसा लगाएंगे।
लेकिन अब सवाल यह आता है कि किसी कंपनी का शेयर बाजार में लिस्ट कैसे करते हैं― अगर आपको 20 लाख रुपये की जरूरत है तो आप अपनी कंपनी को शेयर मार्केट पर लिस्ट करके 20 लाख रुपए आसानी से इकट्ठा कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले आपको अपनी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज (BSE या NSE) पर लिस्ट कराना होगा। BSE यानी बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज जिस पर 4000 से भी ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं।
और NSE का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जिस पर 1500 से ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं। अपनी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराने के लिए आपको सबसे पहले जाना होगा सेबी ( SEBI ) के पास। सेबी के पास आपको अपनी कंपनी की सभी डिटेल्स देनी पड़ती है और एक बार जब SEBI आपकी कंपनी को वेरीफाई करके अप्रूवल दे देती है. इसके बाद आप अपनी कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करवा सकते हैं।
अब आप पहली बार अपनी कंपनी के शेयर बेचने जा रहे हैं और आपको 20 लाख रुपये की जरूरत है तो आप 100 रुपये के हिसाब से 20,000 रुपये के शेयर निकालेंगे और इसी को बोला जाता है IPO जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर निकालती है और शेयर मार्केट पर लिस्ट होती है तो उसे ही IPO बोलते हैं। इसके बाद जब लोग आपकी कंपनी के शेयर्स को खरीदेंगे और जब सारे शेयर बिक जाएंगे तो हमें 20 लाख रुपये अपने बैंक अकाउंट में मिल जाएंगे।
अब हम जानेंगे शेयर क्या होता है - शेयर का मतलब होता है किसी कंपनी में आपकी हिस्सेदारी। अगर आपने किसी कंपनी का शेयर खरीदा है तो इसका मतलब है कि आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हैं। मतलब उस कंपनी में आपका कुछ पैसा लगा हुआ है तो अगर कंपनी लाभ कमाती है या प्रॉफिट में जाती है
तो आपका भी प्रॉफिट होता है और अगर कंपनी का नुकसान होता है तो आपका भी नुकसान हो जाता है। मान लो किसी कंपनी के कुल 100 शेयर हैं और उनमें से 10 शेयर आपके पास हैं तो आप उस कंपनी के 10% इक्विटी के मालिक कहलाएंगे। ठीक इसी प्रकार से किसी भी कंपनी के शेयर होल्डर उसके अलग-अलग प्रतिशत के मालिक होते हैं। आज आप किसी की कंपनी के शेयर को घर बैठे ब्रोकर के द्वारा ऑनलाइन खरीद और बेच सकते हैं।
ब्रोकर कुछ वेबसाइट या apps होते हैं जो आपको शेयर्स को खरीदने और बेचने की सुविधा देती हैं। इंडिया में बहुत सारे ब्रोकर हैं जैसे: जीरोधा, अपस्टॉक, एंजल ब्रोकिंग आदि। इन ब्रोकर्स की apps या वेबसाइट पर जाकर आप किसी भी शेयर को खरीद और बेच सकते हैं। अब हम जानेंगे शेयर की कीमत कैसे बढ़ती और घटती है - शेयर मार्केट में किसी भी शेयर का भाव डिमांड और सप्लाई के आधार पर बढ़ता या कम होता है।
मांग और पूर्ति के आधार पर ही कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन होता है । अगर किसी कंपनी के शेयर की ज्यादा डिमांड होती है और सप्लाई कम होती है तो उसके शेयर का प्राइस बढ़ जाता है ठीक इसी प्रकार जब सप्लाई ज्यादा होती है और डिमांड कम होती है तो शेयर का प्राइस घट जाता है।
हर कंपनी के शेयर का मूल्य अलग-अलग होता है। हर छोटी बड़ी लिस्टेड कंपनी रोज कारोबार करती है जिसमें उसे कभी मुनाफा तो कभी नुकसान होता है और इसीलिए समय के साथ - साथ कंपनी के शेयरों में उतार-चढ़ाव आता रहता है। जब कंपनी का व्यापार बढ़ता है और कंपनी को मुनाफा होता है तो बहुत सारे इनवेस्टर्स उस कंपनी के शेयर खरीदने लगते हैं और शेयर का भाव बढ़ जाता है।
ठीक इसके विपरीत जब कंपनी को घाटा होता है तो लोग उसके शेयर को जल्दी-जल्दी बेचने लगते हैं जिससे शेयर का प्राइस डाउन हो जाता है (ताकि आगे चलकर अगर शेयर का प्राइस और कम हो तो उन्हें और ज्यादा नुकसान ना झेलना पड़े) आइये इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं-
2007 से लेकर 2016 तक Reliance Industries के 1 शेयर का प्राइस लगभग 500 रुपये के आसपास रहता था लेकिन 2016 के बाद जैसे ही जिओ (Jio) लांच होने के बाद इसका व्यापार धीरे धीरे बढ़ता ही चला गया और आज रिलायंस के 1 शेयर की कीमत 2000 रुपये के आसपास है। इसीलिए जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा लोग इसके शेयर खरीदते जा रहे हैं इनके शेयर का रेट दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है इसीलिए अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं और आपको नहीं पता कि किस कंपनी के शेयर खरीदें तो आप रिलायंस कंपनी का शेयर खरीद कर शुरुआत कर सकते हैं।
शेयर बाजार Full Video -
अब हम जानेंगे शेयर कैसे खरीदें और बेचे - शेयर बाजार में शेयर को खरीदने और बेचने के लिए बोलियां लगाई जाती हैं मतलब शेयर की नीलामी की जाती है। इसमें जो विक्रेता सबसे कम कीमत पर शेयर बेचने को तैयार होता है और जो खरीददार सबसे अधिक कीमत पर शेयर खरीदने को तैयार होता है उन दोनों के बीच शेयर का आदान-प्रदान हो जाता है और यह दोनों एक दूसरे से शेयर को खरीद और बेच लेते हैं।
इसका मतलब जो सबसे ऊंची बोली लगाता है वह शेयर को खरीद लेता है। इसे ही Bid price और Ask price बोला जाता है। विक्रेता जिस कीमत पर शेयर को बेचने के लिए तैयार होता है उसे “Bid Price” और खरीददार जिस कीमत पर खरीदने के लिए तैयार होता है उसे “Ask Price” कहते हैं
अब हम जानेंगे किसी कंपनी का शेयर कैसे खरीदें? - किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने के लिए आपको 3 चीजों की जरूरत पड़ती है-
1. Saving Account : आपके पास किसी भी बैंक में saving अकाउंट होना चाहिए। जिससे आप पेमेंट करोगे शेयर को खरीदने के लिए।
2. Demat Account - जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो आपको उस कंपनी में हिस्सेदारी या इक्विटी मिलती है लेकिन उसके लिए आपके पास कोई प्रूफ भी तो होना चाहिए जिससे कि अगर भविष्य में कहीं कोई गड़बड़ हो तो आप बता सको कि मेरा पैसा इस कंपनी में लगा हुआ है।
इसलिए आपने जो शेयर खरीदा है वह डिजिटल फॉर्म में प्रूफ के तौर पर आपके डिमैट अकाउंट में स्टोर हो जाता है। और जब आप उसे बेचते हो तो वहाँ से उठकर वापस कंपनी के पास चला जाता है। लगभग सभी ब्रोकर जहां पर आप ट्रेडिंग अकाउंट खोलते हो वह आपका फ्री में डिमैट अकाउंट भी खोल देते हैं।
3. Trading Account: इंडिया में स्टॉक एक्सचेंज हैं जैसे: BSE (Bombay Stock Exchange) और NSE (National Stock Exchange) ये Direct किसी कंपनी का शेयर नहीं खरीदते बेचते हैं, इसके लिए कुछ डिस्काउंट ब्रोकर कंपनियां हैं जैसे- एंजल ब्रोकिंग, जीरोधा आदि । जिन पर जाकर ही हम किसी भी शेयर को ट्रेड करते हैं मतलब खरीदते और बेचते हैं और इन्हीं ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर हमारा जो अकाउंट खुलता है (जिसमें आप शेयर को Buy या Sell करते हैं) उसे ही ट्रेडिंग अकाउंट या ब्रोकर अकाउंट कहते हैं।
शेयर खरीदने के लिए सबसे पहले आपको किसी ब्रोकर (एंजल ब्रोकिंग, जीरोधा आदि) की मदद से अपना डिमैट अकाउंट खुलवाना होगा फिर अपने बैंक अकाउंट को डिमैट अकाउंट से लिंक करना होगा और अपने बैंक अकाउंट में कुछ पैसा ऐड करना होगा।
इसके बाद जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो आपका पैसा आपके बैंक अकाउंट से निकल कर ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से उस कंपनी के पास चला जाता है और शेयर आपके डिमैट अकाउंट में डिजिटल प्रूफ के रूप में सेव हो जाता है। और जब आप उस शेयर को बेचते हैं तो वह वापस आपके डिमैट अकाउंट से निकलकर कंपनी के पास चला जाता है और पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है।
शेयर मार्केट से पैसा कैसे कमाएं ( Full Course Video )
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